पिता
पिता
दर्द में दवा है बाप
तकलीफ में सूकून है बाप
मुश्किल का हल हैं बाप
दर्द अपना सबसे छुपाता है
खुशियां सबमे बांटता है
बच्चपन से अब तक परी की तरह रखा मुझे
आंच अगर मुझे आई तो दर्द सबसे पहले हुआ उसे
प्यार का सागर है बाप, शिक्षा और
संस्कारों का समुद्र है बाप
बुढ़िया के बाल से, टीचर की डांट
सब कुछ पापा ने संभाला है
मेरी खुशी से मेरे दुख का सबसे
पहले ख्याल पापा को आया है
छोटे में अगर चलते-चलते पैर
दुख जाते तो कंधे पर बिठाल लेते
रात को जब तक जाते गोदी में सुला देते
कभी बाप तो कभी बेटा
कभी पति का फर्ज निभाया है
आखिर कार एक इंसान कैसे
एक इंसान इतने फर्ज निभाता है।