पिंजरा
पिंजरा
यूं तो है बहुत ही सुंदर
सोने - चांदी से जड़ा
आराम मिले है हर वक्त यहां
है महलों से भी अधिक बड़ा।
सच तेरा घर बहुत है अच्छा
बिल्कुल तेरी किस्मत जैसा
ना आंधी का डर तुझे है
ना है तेज़ बारिश की चिंता।
दो चिड़ियों की बातें सुन
मैं मुस्कुराती खड़ी रही
एक चिड़िया थी पिंजरे के अंदर
दूसरी बाहर से बतिया रही
तभी पिंजरे की चिड़िया बोली
माना यहां आराम बड़े हैं
परन्तु इन पंखों का क्या काम
जो कबसे बादल नहीं छुए हैं।
सच है अपने मनोरंजन के लिए
हम इंसानों ने क्या - क्या न किया
कभी रखा पिंजरे में पक्षियों को
ना जाने कितने ही जानवरों पर अत्याचार किया।