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J P Raghuwanshi

Tragedy

3  

J P Raghuwanshi

Tragedy

"पीड़ा"

"पीड़ा"

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कैसे कहूं तो से गुंइया,

हमार पिया मानत नैइया।


सब के घर-घर मोटर लगी है।

सबकी बाखर खूब सजी है।

मैं कां से भर लाऊं पनिया,

हमार पिया-----


सबके घर में होवें किसानी।

सगै जावै जेठ जिठानी।

मोहे वे ले जात नइया,

हमार पिया-----


रात-दिना में कह-कह कै हारी।

जरदा फांकें खावे सुपारी।

घर में तो नोन चून नैइया,

हमार पिया------



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