फूलों के मौसम अा गए
फूलों के मौसम अा गए
पतझड़ों के दिन गए फूलों के मौसम आ गए
भूलने वाले तेरी यादों के मौसम आ गए
गांव की चंचल हसीनाओं ने ये मिलकर कहा
चल सहेली बाग में झूलों के मौसम आ गए
वो हमारे साथ था तो खुशबहाली कम न थी
वो जुदा हमसे हुआ अश्कों के मौसम आ गए
जुल्फें और रुखसार की बातें मिलेगी आपको
थाम कर दिल बैठिए ग़ज़लों के मौसम आ गए
व वजु अश्कों से आंखे और इबादत उनकी याद
ऐ सा लगता है मेरे सजदों के मौसम आ गए
जब से ज़ीनत गांव का मुखिया बनाया है उसे
अस्मतें लूटने लगी शोलों के मौसम आ गए।

