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फूल

फूल

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वो फूलों का बदन चाँद का का साया है

पुरी जिंदगी उसके ही नाम है

फिर भी वो सितारा क्यों पराया है

वो तो है ही मोह, कभी है मायाजाल

कुदरत ने इसे ऐसे ही नहीं बनाया है


महक रही हैं रंगों में यह तितली

दिल और दिमाग दोनो ही मुस्कुराया है

उसे किसी की इश्क़ पर एतबार नहीं

वो फूल तो मेरे शायरी में भी लहराया है


उसकी शायद मुझसे दुश्मनी नहीं

पर इस आशिक को बहुत सताया है

मोहब्बत के इस बिस्तर में शायरी

की चाँदर ओढ़ कर

हमने न जाने पूरा दिन बिताया है

 



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