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Prachi Beeka

Romance

4.5  

Prachi Beeka

Romance

अजन्मी प्रेम कथा

अजन्मी प्रेम कथा

1 min
437


है एक शाम की बात । उस समय हो रही थी खूब बरसात ।

तारे भी आसमां में टिम टिमा रहे थे ।

पैड पौधे भी गुन गुना रहे थे पंछी भी चह चहा रहे थे ।

डूबते सूरज के किनारे इंद्रधनुष भी बल खा रहा था ।

धरती पर भी प्रेम उमड़ा जा रहा था।

उमड़ते प्रेम में हम भी गोते खा रहे थे ।

वो भी हमे देख कर शर्मा रहे थे।

धीरे धीरे प्रकाश ढलने लगा ।

हमारे दिल में भी हल चल बढ़ने लगा ।

रात में दिखा टूटता तारा तो हमने भी पूछ लिया

क्या मतलब था जो उन्होंने किया था इशारा ।

होले होले बीत गई रात ।

फिर सुबह दिखे तो करने लगे आंखो ही आंखो मे बात ।

मानो पूछ रहे हो कब होगी सात जन्मों की पहली मुलाकात।

हमने ना चाहते हुए भी मुंह मोड़ लिया ऐसा एहसास हुआ जैसे उनका दिल तोड दिया।

फिर वो भी हो गए जुदा नम आंखों से कह कर गए मिलेंगे जब चाहेंगे खुदा।


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