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Prachi Beeka

Abstract

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Prachi Beeka

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वक्त को करीब से देखा है

वक्त को करीब से देखा है

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मेने बुरे वक्त को करीब से देखा है ।

सूरज को उगने से पहले डूबते हुए देखा है।

हस्ते हुए चहरे के पीछे दिल टूटते हुए देखा है।

जिम्मेदारियों में सपनो को छूटते हुए देखा है।

जनाब मेने बुरे वक्त को करीब से देखा है।


बुरे वक्त ने ये बताया है

ना ही कोई अपना और ना ही कोई पराया है।

ये सब इस जीवन की मोह माया है।


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