फूल
फूल
रकीब को फिजूल कर दें !
जुबान को तू त्रिशूल कर दें
बहुत दुआ मांगली ख़ुशी की
दुआ ख़ुदा अब क़बूल कर दें
ग़मो के ही रब हटा दें काटें
ख़ुशी के राहों में फ़ूल कर दें
यहां चलाकर हवा उल्फ़त की
रब दूर नफ़रत की धूल कर दें
बहुत दुख में जिंदगी जी ली है
रब दूर दिल से ममूल कर दें
न नफ़रतें तोड़ जो न पाये
रब प्यार को वो बबूल कर दें
सनम ज़रा तू मगर आज़म का
निकाह दिल से क़बूल कर दें।
