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Suparna Mukherjee

Tragedy

3  

Suparna Mukherjee

Tragedy

फूल की इच्छा

फूल की इच्छा

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जाने फूल की क्या ख्वाहिश थी

किसी ने उसे पूछा नहीं

बस सजा दिया, चढ़ा दिया, फिंकवा दिया

गर पुछा जाता उससे तो ज़रूर बोलती

इस बार बिछवा दो उन नन्हें पैरों के नीचे

जो सर पर ढो रहे हैं अपना ही जीवन 

खोकर अपना बचपन 

ज़िंदा रहने के लिए!


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