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Neerja Sharma

Drama

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Neerja Sharma

Drama

फरिश्ता

फरिश्ता

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नहीं देखा कभी माँ को

नहीं बताया कभी पिता ने,

बस यही पता जन्म देते ही

स्वर्ग सिधार गई माँ।

पिता का प्यार न मिला

दोषी मानते मुझे, 

कारण माँ की मौत।


दादी का प्यार बस

परियों की कहानियाँ,

स्वप्न में माँ से मुलाकात।

न माँ की फोटो 

न पिता का प्यार,

बस दादी की एक बात

तुम्हारी माँ फरिश्ता।

मन न मानता

फरिश्ता होती तो...

मुझे क्यों छोड़ा।


बालमन छटपटाहट

दिनरात फरिश्ते को ढूँढता,

धीरे-धीरे एकान्त में

रात में, नींद में...

एक फरिश्ता रोज आने लगा,

मेरे मन में बस गया मानो,

मैं उससे बातें करता, 

खुश हो जाता, 

खुले अंबर की सैर कर आता,

विश्वास गहराता गया 

मैं अपने फरिश्ते के साथ खुश।


दादी के बाद तो रिश्ता और गहरा 

अब केवल मैं, मेरी आत्मा व फरिश्ता,

आपस में बातें करते,

मेरी हर परेशानी 

उससे बातें कर कम हो जाती,

सबने मजाक उड़ाया 

यहाँ तक पागल कहा, 

पर मैं, बहुत खुश...

एक विश्वास

फरिश्ता मेरी माँ है,

जो मेरे पास

किसी न किसी रूप में आ

मेरी हर कमी दूर कर जाती है।

 

आज मैं जवान हूँ 

फिर भी आज भी मिलता हूँ,

अपने फरिश्ते से 

वहीं किले की दीवार के पास, 

बादलोंं की छाँव में 

आँखें बंद बैठ जाता हूँ,

पा जाता हूँ हर सवाल का जवाब।

पर पता नहीं 

आँखें खुलते ही 

कहाँ चला जाता है वह फरिश्ता, 

मेरी आत्मा में मुझे समा कर

फिर सोचता हूँ 

माँ है मेरी, 

आ जायेगी 

जब मुझे यहाँ बैठा पाएगी।


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