पहली मुलाकात
पहली मुलाकात
याद है आज भी हमें
हमारी पहली मुलाकात!
अजनबी से दो लोग किस तरह से
एक दूसरे के जीने की वजह बन गये !
तुम्हारे चेहरे में देखा था
आफताब सा तेज हमने !
तुम्हारी हथेलियों की गरमाहट,
अब भी महसूस होती है हमें !
अपने होठों को रख दिया था जब
हमारे होठों पर तुमने, यूँ लगा चाँद तारे
जमीन पर उतर कर
टहल रहे हैं ! आसमां में थे हम !
बादल बैचेन हो पिघलने लगे,
और अंदर ही अंदर हमारी रूहें,
एक होकर मिलन उत्सव मना रही थी।