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मिली साहा

Romance Tragedy

4.7  

मिली साहा

Romance Tragedy

पहली मुलाकात

पहली मुलाकात

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रंग बिखरा था, फिज़ाओं में, कुछ अलग सा ही,

भीगा था मन मेरा, प्यार की पहली बरसात हुई।


मधुर संगीत सी एक तरंग, छू गई दिल के तार,

एहसास ना हुआ, कब दिन ढला, कब रात हुई।


लफ़्ज़ थे ख़ामोश, न हमने कुछ कहा, न तुमने,

बस आँखों ही आँखों में, पहली मुलाकात हुई।


मेरी ज़िंदगी की किताब में, जुड़ा था एक पन्ना तेरे नाम का,

तुझसे मिलकर लगा ऐसा, जैसे ख़्वाब की ताबीर मिल गई।


आज भी याद है, तेरा मुस्कुराना, धड़कनों को बढ़ा जाना,

जैसे दिल में कैद कोई तस्वीर थी, जो हकीकत सी हो गई।


मैं बंजर जमीं सा, ना कोई एहसास था, ना कोई साथ था,

जिंदगी से हुई फिर मुलाकात, तेरे प्यार की बारिश जो हुई।


जितनी बार मिला तुमसे, पहली नज़र का ही, इश्क़ लगा,

बढ़ती गईं ये मुलाकातें हमारी और जाने कितनी बात हुई।


कल तक अजनबी थे जो, वो दिल में इस कदर समा गए,

कि नज़रें हर पल ढूँढे वही चेहरा ऐसी दिल की हालत हुई।


तेरे इश्क़ का आशियां मिला, ज़िन्दगी लगी, मुकम्मल सी,

पर शायद हमारी बातें, मुलाकातें नसीब को, रास न आई।


आज मौसम वही है, पर तुम्हारी मासूम, मुस्कुराहट नहीं,

अभी तो, कुछ ही पन्ने पलटे थे, और किताब ही, खो गई।


रूठ गए ख़्वाब, फिर से हुई बंजर ज़िन्दगी की ज़मीं पर,

बस, उन मुलाकातों की, एक अधूरी सी कहानी, रह गई।



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