पहला प्यार क्या है
पहला प्यार क्या है
पहला प्यार लफ्ज़ है छोटा पर समेटे है अथाह अर्थों का सागर
इस सागर में नाव चलाकर
सोचा सबने मिल जायेगा साहिल
यहां नाव मझधार में फंसी
दिखता बस सलिल ही सलिल
किसे कहूँ मैं पहला प्यार
उस माँ के आँचल को, जिसके दूध से मन तृप्त हुआ
या उस पिता की ऊँगली को
जिसे पकड़कर इस दुनिया में चलना सीखा
किसे कहूँ मैं पहला प्यार
उस भाई की लड़ाई को,
जिसने सबसे लड़ना सिखाया
या उस बहन के दुलार को,
जिसने प्यार करना सिखाया
किसे कहूँ मैं पहला प्यार
उन किताबों को,जिसने इस मुकाम पर पहुँचाया
या उस गुरु को, जिसने उन किताबों को पढ़ना सिखाया
किसे कहूँ मैं पहला प्यार
बच्चे की पहली खिलखिलाती मुस्कान को
जो दिल गदगद और नयन अश्कों से भर दे
या उन फूलों नदियों बारिश को
जो मन उमंग से ताज़ा कर दे
किसे कहूँ मैं पहला प्यार
उस प्रिय यार को, जिसने जीने का मतलब सिखाया
या उस प्रियवर को, जिसने हम सफर शब्द का एहसास करवाया
उस मिलिंद और पुष्प के आकर्षण को
या सागर के सलिल से मिलन को
किसे कहूँ मैं पहला प्यार
भूल तो इन सबको नहीं सकती
और पहला प्यार कौन है भूलता भला
पर क्या इतनी दफा होता है पहला प्यार
आज तलक दिल न समझ पाया पहला प्यार
चाहे चकोर का चाँद से मिलन नहीं
प्यार तो प्यार है, होता कभी कम नहीं
प्यार का कभी अंत होता नहीं
प्यार अनंत है मिटता नहीं