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Alka Nigam

Abstract Inspirational Others

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Alka Nigam

Abstract Inspirational Others

फिर से मिलेंगे

फिर से मिलेंगे

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बस....

कुछ ही दिनों की तो बात है

के अटूट हमारा साथ है।

मिलेंगे मिलेंगे....

हम ज़रूर मिलेंगे,

पर...तब तलक...

गुफ़्तगू के ये सिलसिले

उंगलियों पर चलेंगे।

न डूबेंगे खुद न डूबने देंगे किसी को

उम्मीद का दामन

हर किसी को हम देंगे।

दूरियों को दवा बना देंगे तब तलक

के रिश्तों के बीच 

हवा को आने देंगे।

थोड़ा इंतज़ार और फ़िर से हम सभी

नकाब को हटा 

सांस ले सकेंगे।

जो चल दिये हैं बन कर सितारे फ़लक के

उन्हें दिल से रुखसती

हम अता करेंगे।

रक़ीबों और रफीक़ों का अंतर भुला कर

जो रह गए ज़मीं पर 

उनसे गले से मिलेंगे।

रौशन होंगी फ़िर से महफिलें हमारी

धौल धप्पे दोस्तों के

फ़िर से चलेंगे।

के चलना हमारी फ़ितरत है

हम फिर से चलेंगे

ज़िन्दगी जीयेंगे।



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