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Shelly Gupta

Fantasy

4  

Shelly Gupta

Fantasy

फिर पन्नों में सिमट गया

फिर पन्नों में सिमट गया

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खोली जो मन की किताब

पन्ना पन्ना बिखर गया

संभालना तो चाहा पर

हर लम्हा, तेरी खुशबू से भर गया।


याद आया तू कुछ इस कदर

रोम रोम मेरा सिहर गया

पन्नों से निकल कर

तू सामने आकर जब बैठ गया।


कह ना पाई थी कभी जो

आज सब कह दिया

सुना के तुझे हाले दिल

दिल खुशी से झूम गया।


जवाब पाने को जब ढूंढा तुझे

पर तू जाने किधर गया

पता चला पन्नों से निकल

तू फिर पन्नों में सिमट गया।


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