फैंटेसी... जिंदगी की
फैंटेसी... जिंदगी की
फैंटेसी ..जिंदगी की
काश .....मैं तुम्हें लौटा लाता।
तेरे लिए मै...रब से लड़ जाता।
बदल देता उन तारीखों को,
अगर जरा-सा भी जान जाता।
रब मेरी आँखों के सामने से ,
मेरी जिंदगी न ले जा पाता है।
काश .....मैं तुम्हें लौटा लाता।
तेरे लिए मै...रब से लड़ जाता।
कभी कुछ मांगा नहीं था रब से।
तेरे लिए सारी दुआएँ गिरवी रख आता।
मैं विश्वास में .....मारा गया था।
काश.....तुम से रब से यह कह पाता।
काश .....मैं तुम्हें लौटा लाता।
तेरे लिए मै...रब से लड़ जाता।
कहानी मेरी अधूरी रही है।
उम्मीदों की मजबूरी रही है।
इंतजार में जो मिला है।
तुम से और रब से,
मरते दम तक
उसकी जबाबदेही रहेगी।
काश .....मैं तुम्हें लौटा लाता।
तेरे लिए मै...रब से लड़ जाता।
यह जो हुआ है साथ मेरे।
काश...उसे रोक पाता।