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Rajesh Muthuraj

Drama

3  

Rajesh Muthuraj

Drama

फैंक दो पत्थर

फैंक दो पत्थर

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उठाओ उस पत्थर को, फैंक दो तानके यार 

इससे किफायती कहाँ मिलेगा कोई दूसरा हथियार 


जिस घर की तरफ जायेंगी ये पत्थरें सारी 

उन्हें बनाने में थोड़ी थी ज़रा सी भी मेहनत तुम्हारी 


किस चीज़ के टूटने की फरियाद कर रहे हो 

तुम तो बस इंसानियत को बर्बाद कर रहे हो 


दूसरों की तबाही के मज़े लेने का शौक है ना तुम्हें 

आंसुओं पर किसी के, हँसने का शौक है ना तुम्हें 


फैसला बदल दो, मेरी गुज़ारिश है 

जीने की उसकी भी तो ख्वाहिश है 


रख दो वो पत्थर नीचे, कर लो मेरी बात पे ग़ौर 

कहीं कल को ना आ जाये एक पत्थर तुम्हारे दीवार की ओर।


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