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Rajesh Muthuraj

Inspirational

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Rajesh Muthuraj

Inspirational

एक और मंज़िल

एक और मंज़िल

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आवाज़ मेरे कामयाबी की गूँजती है हर कहीं 

मगर मेरी मशक्क़त के किस्सों का किसी को अंदाज़ा नहीं


इस सुकून-भरी मुस्कुराहट की तो सुनी होगी खबर 

लेकिन मेरी लड़ाई नहीं आयी आज तक किसी को नज़र 


आज भी गले से लगाकर एक क़िताब रखा है मैंने 

मेरे पसीने की हर बूँद का हिसाब रखा है मैंने 


बरसों पहले इसी दिन का ख़्वाब देखा था 

साफ़-साफ़ आँखों में, जनाब, देखा था 


छोटे-बड़े दीवारों को पार करना सीख लिया 

इन नन्हे से पैरों ने छलांग लगाना सीख लिया 


रफ़्तार जीत की इतनी तेज़ नहीं थी मगर 

इरादे खींचते जा रहे थे मेरी हर डगर 


अपनों और ग़ैरों की परख हो गयी इस सफर में 

कुछ आते हैं कुछ नहीं आते आज भी नज़र में 


इस मुक़ाम तक पहुंचकर क्या सबक सीखा है मैंने 

कईयों को पास आते और कईयों को दूर जाते देखा है मैंने 


इत्मीनान से बैठकर ख़ुशियों के जाम पी रहा हूँ 

जिसकी बस उम्मीद हुआ करती थी, आज उसे जी रहा हूँ 


एक मोहब्बत सी हो गयी है आज-कल ख़्वाबों से 

ज़रा भी डर नहीं लगता हमें नक़ाबों से 


बड़ी मुश्किल से तैयार कर रखा है हमने इस दिल को 

क्योंकि तय किया है इन आँखों ने एक और मंज़िल को 



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