“फैकबुक फ्रेंड”
“फैकबुक फ्रेंड”
शिकायत तो करूँ तो करूँ किससे, अभी तक उनको मैंने जाना नहीं है !!
पहचानने की बातें भी करूँ मैं क्यूँ, अभी तक तो उनको निहारा नहीं हैं !!
वो आप में ही रहते हैं मशगूल यूँ, औरों के दुख को मैंने जाना नहीं है !!
हमारे ठिकानों का अंदाज सबको है, उनके बसर को कोई जाना नहीं है !!
कभी आप भूले गुजारिश ना करना, उनकी चाहतों का सीमाना नहीं है !!
अपनी खुशी में वो जम के नाचते, औरों की खुशियां मानते नहीं हैं !!
जरूरत में अपना वो मुँह मोड़ते हैं, साथियों का साथ निभाते नहीं है !!
