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Bhavna Thaker

Romance

3  

Bhavna Thaker

Romance

फासलो में प्यार

फासलो में प्यार

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मेरे मन की अनुगूँज से

बहती प्रीत

तुम्हारे उर के आसमान

से मिले


तुम्हारी याद मेरी इबादत 

मेरी मुस्कान तुम्हारी प्रार्थना


रस्मों की इजाज़त नहीं

चाहिए 

जब जिस्म की चाह नहीं


चोट मैं खाऊँ कभी 

दर्द तुझे हो

उदास तुम रहो कभी

बेकली मेरे मन में हो

 

फासलो में रहकर भी 

जब तुमसे नज़दीकीयाँ

रूह की है

 

चाहत में शुद्धि है खरे सोने की 

मैं तेरी खामोशियाँ सुन लूँ 

तुम मेरे मौन की गूँज

 

क्या कोई कल्पना करेगा 

हमारे रिश्ते की गहराई की


तुम्हारी परवाह मेरा चुटकी

भर सिंदूर 

मेरी शिद्दत सात फेरों की

रवायत तेरी


कहो क्या जरूरत इस रिश्ते में 

रस्मों रिवायत की।।


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