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Rajit ram Ranjan

Abstract

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Rajit ram Ranjan

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फाइनली हमने दाढ़ी बनवा ही ली..

फाइनली हमने दाढ़ी बनवा ही ली..

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बड़ी कश्मकश में थी जिंदगी,

ग़म के सागर में,

थोड़ी हिम्मत की औऱ

किनारा पा ही ली,

आखिर आज वो पल आ ही गया,

फाइनली हमने दाढ़ी बनवा ही ली!


कितने ताने सुनने पड़ते थे,

घर औऱ रिश्तेदारों से लड़ने पड़ते थे,

देखकर मेरी दाढ़ी हर कोई पूछ ही लेता था

कि भईया जी आपका नाम क्या है?

फिर क्या राजित राम सुनकर ही ख़ामोश हो जाते थे,

इतना आसान नहीं हैं के जी एफ के रॉकी भाई जैसी दाढ़ी ऱखना,

कितने ग़म झेलने पड़े थे,बहुत कुछ सहने पड़े थे,

अपनी इच्छा से मैंने सबकुछ पा ही ली,

आखिऱ आज वो दिन आ ही गया,

फाइनली हमने दाढ़ी बनवा ही ली!


शुरू-शुरू में तो लोग बहुत कुछ बोलते थे,

औऱ सभी कहते थे,

कि क्या दाढ़ी रखे हो बनवा नहीं लेते,

मगर जो आज कि जनरेशन हैं वो ख़ुश होते थे,

हमने कभी भी निराशा महसूस ही नहीं किया,

सोच लिया था कि कुछ तो लोग कहेंगे,

लोगों का काम हैं कहना,

हमको अपनी जिंदगी जीना,

इनके फेरा में ना रहना,

अपने ख़ास दोस्त भी,

बोलने लगे थे कि यार ये क्या करोगे दाढ़ी रखके,

ख़ुद को हमने ऐसा बना ही ली,

आखिऱ आज वो दिन आ ही गया,

फाइनली हमने दाढ़ी बनवा ही ली!


अब तो सबको अच्छा लगने लगा था,

सपना भी हक़ीक़त जैसा सच्चा लगने लगा था,

एक दौर ऐसा आया जिंदगी में,

ज़ब हमने दिल कि सुनी,

सबकुछ छोड़कर,

खुशियों वाली मुसीबते उठा ही ली,

आखिर आज वो दिन आ ही गया,

फाइनली हमने दाढ़ी बनवा ही ली!



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