फागुन की दस्तक
फागुन की दस्तक
देखो देखो आज यहाँ
सब का मन है
रंगों से अब नहाने को
भीनी भीनी खुशबू से
हुआ बेचैन ब्यार
फगुआ संग बह जाने को
हर तरफ खुशहाली है
लगने लगी बाजार अब
रंग पिचकारी सजाने को
घर घर पर्ची सामग्री की
लगे हैं तरह-तरह के बनने
लजीज पकवान बनवाने की
लगे हिलोरे लेने अब तो
गली गली बेचैन है
'होली है' चिल्लाने को।
