पहाड़ों मे कहीं
पहाड़ों मे कहीं
पहाड़ों मे कहीं बसते हैं चल
इस शोर से दूर कहीं
उस ओर कहीं जहां आसमान जमींदोज होते हैं
दोस्त चल उस ओर जहां नदियां शुरू होती हैं
चल खो जाते हैं इन वादियों मे
जहां कोई हमे ढूंढ ना सके
अपनो से रूठे नहीं हैं हम
बस तेरे साथ कुछ अकेले पल गुजारना चाहते हैं
बस तेरी बाहों में बैठ के आसमान के तारे गिनना चाहते हैं
कभी बहू कभी बहन कभी मां के बीच तुझे अपना
कहना चाहते हैं
पहाड़ों में कहीं हम तेरे साथ बसना चाहते हैं।