पहाड़
पहाड़
पहाड़ खूबसूरत हैं !
पहाड़ बहुत हरे भरे हैं !
पहाड़ पर पेड़ पौधे हैं!
पहाड़ पर झरने हैं
पहाड़ पर बहुत आनंद है !
पहाड़ पर शांति है
पहाड़ पर जाने के बाद
फिर लौटने का मन नहीं करता
महानगरों में जहाँ गर्मी है !
जहाँ प्रदूषण है !
जहाँ भीड़ भाड़ है !
जहाँ भागमभाग है !
यह नज़रिया है हमारा
जो हम छुट्टियों में पहाड़ की
ओर भागते हैं !
पर सिक्के के दूसरे पहलू को
भी देखें जो पहाड़ पर जीवन !
यापन कर रहे हैं उनकी नजर से
पहाड़ हरे भरे हैं तो उन्हें
हरा भरा बनाने में वह रत हैं!
वह सीढ़ी दार खेतों में
पसीना बहाते हैं !
वह बीज के साथ अपना ,
सौ प्रतिशत श्रम मिलाते हैं !
वह कई सुविधाओं से महरूम
हो जाते हैं !
वह पहाड़ की धरती को
बंजर होने से बचाते हैं !
वह पहाड़ के उन लोगों को
संदेसा भी देते हैं !
जो मैदानों में आकर घर अपना
बसाते हैं !
कि भाई बंधुओं अब भी
बहुत उम्मीद की किरन है !
लौट आओ कि तुम्हें तुम्हारा
पहाड़ बुलाता है !
आओ इस तरह कि मेहमान
नहीं हो
आओ इस तरह कि सैलानी
नहीं हो
आओ इस तरह कि माँ के
सपूत हो
और अपने प्रेम और मेहनत से
करोगे अगर खेती
तो निःसंदेह
वह मिट्टी सोना उगलेगी।
