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Seema(Simi) Chawla

Abstract

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Seema(Simi) Chawla

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पैसे की चमक

पैसे की चमक

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दूर चले हम अपनों से इन पैसों के लिए

भूल चले हम अपने रास्ते इन पैसों के लिए

सोचा जीत जाएंगे दुनिया इन पैसों की चमक से 

छोड़ दिया अपना देश 

दूर प्रदेश में बसकर भी देखा 

पर जब ठोकर लगी 

जब जाना कोई अपना नहीं आज इन पैसों की वजह से


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