STORYMIRROR

Anjali Jha

Abstract Classics Inspirational

4  

Anjali Jha

Abstract Classics Inspirational

पैसा ही सबकुछ नहीं

पैसा ही सबकुछ नहीं

1 min
301


जिंदगी में पैसा ही सब कुछ नहीं

इंसानियत से बढ़कर कुछ नहीं

पैसा तो केवल आदान प्रदान का एक रुप है

पैसा ही है ज़िंदगी यह सब झुठ है


पैसे से ही सब कुछ नहीं मिल सकता

पैसे से स्वास्थ्य नहीं मिलता

पैसे तो हैं, मगर चैन नहीं मिलता

पैसे तो है मगर नींद नहीं मिलता

पैसा से कभी संस्कार नहीं मिलता


सब कुछ मिल जायेगा पैसे से,

लेकिन हर वक्त खुशी नहीं मिलता

पैसा क्या यह तो कुछ नहीं

ज़िंदगी से बड़ा कोई दौलत नहीं

जब तक जान है, तब तक पैसे हैं

मर जाने के बाद सब यहीं धरे रह जायेंगे

पैसा एक दिन किसी काम न आयेंगे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract