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Meera Ramnivas

Abstract

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Meera Ramnivas

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पार्क की एक शाम

पार्क की एक शाम

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पार्क की शामें बड़ी रंगीन होती है

पार्क में बैठी कुछ नजरें बड़ी संगीन होती हैं

हर आती जाती महिला को घूरती हैं

वीडियो कैमरे सी यहां वहां घूमती हैं


रंग बिरंगे कपड़े रंगीन मिजाज

सबके हैं अलग अलग अंदाज

कोई सैर सपाटा करने अकेले आया है

कोई परिवार को पिकनिक पर लाया है


बच्चे यहां वहां खेल रहे हैं

कुछ बच्चे झूला झूल रहे हैं

कोई घास पर बैठ आनंदित है

कोई बैंच पर बैठ प्रफुल्लित है

मजदूर घास काट रहे हैं


माली पौधे सींच रहे हैं

पंछी पानी पीकर चहक रहे हैं

पौधे नहा कर लहक रहे हैं

श्रमिक हर आते जाते को देखते हैं


 देखकर मन ही मन सोचते हैं

हम रोटी कमाने आये हैं

ये मन बहलाने आये हैं। 

कोई मोबाइल में व्यस्त है।

कोई परिवार संग मस्त है।

कोई चित्र खींच रहा है।

कोई विचित्र पोज दे रहा है।


कोई बैठा है कोई लेटा है।  

कोई महिला मित्र से सटा बैठा है। 

धीरे धीरे सूरज ढलने लगा।

उजाला सिमटने लगा।


बच्चों संग आये,

परिवार लौटने लगते हैं । 

दोस्त संग आये,

और सटकर बैठ जाते हैं।


धीरे धीरे पब्लिक,

उठ कर चलने लगती है।

पार्क की हसीन दुनिया,

सिमटने लगती है।


चौकीदार सीटी बजाता है ।

 पार्क खाली हो जाता है। 

पब्लिक के जाते ही,  

पार्क में शांति छा जाती है 

रात के घिरते ही

प्रकृति सो जाती है।


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