पारिवारिक रहस्य
पारिवारिक रहस्य
🌑 पारिवारिक रहस्य 🌑
(एक गहन, रहस्यात्मक काव्य — भाव, इतिहास और आत्मा के गर्भ में छुपे सच)
✍️ श्री हरि
🗓️ 21.7.2025
परिवार —
केवल रक्त का रिश्ता नहीं होता,
यह एक अनकही कहानी होती है —
जो पीढ़ियों के कंधों पर चुपचाप बैठी रहती है,
या फिर परिधानों के नीचे छुपी —
एक भयानक, नग्न सच्चाई।
जैसे मंदिर की दीवारों पर अंकित
वो निर्जीव मूर्तियाँ —जो बोलती नहीं,
पर अनहद रहस्य अपने भीतर छिपाए रखती हैं।
🔻 पृथ्वी की कोख में
मोती, माणिक्य और ज्वालामुखी छुपे रहते हैं,
वैसे ही हर कुल की कोख मेंदबी होती हैं —
गुप्त नियोग-प्रथाएँ,
वर्जित प्रेम संबंध,
दमित वासनाओं के पाप,
और कुल-गौरव की चांदनी में
गुम हो चुके अंधकारमय सत्य।
जो आदर्शों की ओट में
बीज की तरह दबा दिए जाते हैं —
कभी मर्यादा के नाम पर,
कभी परंपरा के भय से।
🌌 कभी किसी ने कुंती के चेहरे पर
उस गहरे अपराध बोध को पढ़ा?
कर्ण की दृष्टि में
वह प्रश्न क्यों पलता रहा
जिसका उत्तर माँ की चुप्पी थी?
सत्यवती —
क्या वह केवल मत्स्यगंधा थी?
या एक सत्ता लोभी स्त्री,
जिसने वेदव्यास को कभी पुत्र, कभी ऋषि,
और अंततः कौरव-पांडवों का
जैविक पिता बना डाला?
🔺 और शिखंडी?
जिसने महाभारत की धारा पलटी —
वो कभी शिखंडिनी था।
स्त्री का स्त्री से विवाह
शायद इतिहास का पहला प्रसंग था —
जो किसी पुरुष की जिद,
किसी स्त्री की अपमान-गाथा से जन्मा था,
और पुरुष वेश में
सभ्यता को ललकार गया।
🕉️ बलराम जी —
किसकी कोख से जन्मे?
देवकी की… या रोहिणी की?
वो भ्रूण थे या
शेषनाग का अवतरण?
कृष्ण —
थे तो वसुदेव-देवकी के,
पर कहलाए नंद-यशोदा के।
क्या जन्म देने वाला माता-पिता होता है,
या लालन-पालन करने वाला?
कृष्ण —
स्वयं एक रहस्य हैं।
हर युग में पलता हुआ
एक मोहक, बहुरूपी सत्य —
जो दिखता भी है…और छुपता भी।
🌾 सीता का रहस्य भी
किसी उपाख्यान से कम नहीं।
धरती की कोख से प्रकट हुई थी वो —
शुद्ध, निर्मल,
फिर भी अग्नि परीक्षा की यंत्रणा से गुज़री।
एक वानप्रस्थी कुटिया में
लव-कुश को जन्म दिया —
उनकी चुप्पी —
किसी अपराध की नहीं,
बल्कि एक नारी की मौन ललकार थी —
जिसे समाज ने कभी समझा नहीं।
इसीलिए वह समा गई
धरती की कोख में
जहाँ से आई थी।
💠 हर परिवार —
एक उपनिषद है,
जहाँ प्रेम के नीचे
वासना पलती है,
और त्याग की ओट में
महत्वाकांक्षा साँस लेती है।
कभी कोई चाची माँ बन जाती है,
कोई ताऊ असली पिता।
और कभी कोई मौसी —
एक ऐसे अपराध की छाया बन जाती है,
जिसका नाम कभी नहीं लिया जाता।
👁️🗨️ कभी-कभी…
कोई बेटी ही
अपने पिता के
बच्चे की
माँ बन जाती है —
और वह रहस्य
किसी खून के आँसू में
ढुलककर मर जाता है।
🌀 जो दिखता है,
वही सत्य नहीं होता।
हर वंश में
कोई कृष्ण पलता है —
जिसका जन्म
किसी सामाजिक सीमा के भीतर नहीं हुआ होता।
और कोई कर्ण —
जो अपने जन्म की तलाश में
पूरे जीवन
एक अपमान के नीचे दबा रहता है।
🌿 रहस्य —
कभी नहीं बोलते।
वे वंश वृक्ष की जड़ों में दबे
वे साँच होते हैं —
जो उजाले में नहीं आते,
पर हर पत्ती कोअपना स्वाद दे जाते हैं।
🔚 हर घर में
कोई झरोखा बंद रहता है —
और कोई अलमारी
बस इसीलिए नहीं खुलती,
क्योंकि उसमें लटक रहा होता है —एक अनदेखा,
अनकहा,
"पारिवारिक रहस्य"।
✍️ श्री हरि
(21.7.2025)
