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Ashish Agrawal

Drama

5.0  

Ashish Agrawal

Drama

पानी

पानी

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पानी मैं पानी

मैं हूँ जीवन में जीवन

मुझी से साँसों का बंधन

मैं रब की मेहरबानी

पानी में पानी।


फूलों और कलियों की क्यारी,

खेतों में फसलों की दौलत,

पक्षी, पेड़ों से भरे जंगल

सब मेरी ही तो बदौलत।


इंसाँ हो या हो परिन्दा

सब मुझसे ही तो जिन्दा

मुझसे ही जिन्दगानी

पानी मैं पानी।


दरिया भी दरिया मुझसे है,

है मुझसे ही झरनों का मंजर,

इक पूरी अलग दुनिया जिसमें,

है मुझसे ही वो समंदर,


संसार मेरे बिन सूना

प्यासे सब, मैं जो रहूँ ना

मैं साँसों की निशानी

पानी मैं पानी।


मुझको न बँटों मजहब में,

मैं तो सबका संगम हूँ

मैं ही अमृत गंगाजल,

मैं ही आबे जगमग हूँ।


हूँ सबका मैं ही सुकूँ

मैं सबकी जुस्तजू हूँ

मेरी क़ीमत सबने जानी

पानी मैं पानी।


देखा जो तड़पते प्यासों को,

आँखों से नदियाँ हैं बहती

कहीं सूख न जाए स्याही भी,

'आमिर' की कलम है कहती।


कुछ ऐसी प्यास जगाओ

तुम यूँ न मुझे बहाओ

रोको अपनी मनमानी

पानी मैं पानी।।


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