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Surendra kumar singh

Abstract

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Surendra kumar singh

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पानी पर चल रहे हैं

पानी पर चल रहे हैं

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पानी पर चलने वाले

मोहरे हैं हम लोग

इस दुनिया के रंगमंच पर

शतरंज के महोरे हैं

जहां दिखते हैं

वहाँ रहते है नहीं

दिमाग इस्तेमाल होता है

हम इस्तेमाल होते हैं

और लोकेशन बदल जाती है

और एक बात और भी है

जो कम लोग समझते हैं

पानी पर चलते हुये

पानी के अंदर

हमारी परछाईं भी चलती है

हमे देखना हो

हमे समझना हो तो

हमें हमारी परछाइयों के

साथ साथ देखें

वरना पिटे हुये मोहरों की

दुनिया का आनन्द लें।


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