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sneh lata

Tragedy

3  

sneh lata

Tragedy

'पाखंड'

'पाखंड'

1 min
220


धर्म को बना के ढाल,चलते रहे हैं चाल, 

करते नहीं मलाल,बाबा ऐसे हो रहे। 

होते हैं ये पथभ्रष्ट,करते ईमान नष्ट,  

देते हैं सभी को कष्ट, स्वार्थ में हैं खो रहे।

त्यागी सब लोक -लाज,करें निंदनीय काज,  

फिर भी करें ये राज ,काँटे ही ये बो रहे।

कीजे नाथ कृपा अब,शुद्ध बुद्धि होंय सब ,  

बाबाओं के शिष्य अब , ,जार-जार रो रहे।।



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