STORYMIRROR

sneh lata

Others

4  

sneh lata

Others

नारी

नारी

1 min
240



कुण्डलिया नंबर 1 


नारी को हक कब दिया, जिसकी वो हक़दार। 

फिर भी तो हर रूप में, लुटा रही नित प्यार। ।

लुटा रही नित प्यार, काम घर का सब करती।

कठपुतली सी नाच, नाच कर कभी न थकती। 

भरा वक्ष में दूध, जिंदगी फिर भी खारी। 

बना पुरुष हैवान, बड़ी बेबस है नारी।। 


कुण्डलिया नंबर 2 


नारी को कब है मिला, समता का अधिकार।

कभी कहा अबला उसे, कभी दिया दुत्कार।। 

कभी दिया दुत्कार, न उसको गले लगाया। 

कठपुतली सा नित्य, गया है नाच नचाया। 

जाग गयी है आज, बनी तलवार दुधारी।

अरे पुरुष नादान, नहीं नर से कम नारी।। 


कुण

्डलिया संख्या 3


नारी को देवी कहा, दिया नहीं सम्मान। 

क्यों समाज रक्खा बना, अब तक पुरुष प्रधान।। 

अब तक पुरुष प्रधान, रहा नारी क्यों अबला। 

करता अत्याचार, नहीं अब तक भी बदला। 

नाच नाच कर नाच, बनी वनिता चिंगारी। 

भारी पड़ती आज, सभी पुरुषों पर नारी।। 


कुण्डलिया संख्या 4 


नारी का करता मुझे, सच मे विचलित चित्र। 

क्यों कठपुतली है बनी, रमणी प्राण पवित्र।।

रमणी प्राण पवित्र, बनी क्यों नर की दासी। 

हाड़ माँस की देह, हृदय है मथुरा काशी। 

छलकें नयना 'नीर', बड़ी दिखती दुखियारी।।

मौका दो दिल खोल, गगन चूमेगी नारी।।



Rate this content
Log in