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S Ram Verma

Romance

3  

S Ram Verma

Romance

ओस की बूंद !

ओस की बूंद !

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मैं अपनी 

हथेली पर  

धूप की मखमली 

चादर लपेटे 

तेरे आने का 

इंतज़ार कर रहा हूँ।

 

नर्म ओस की बूंदों में 

अपना एहसास समेटे 

तुम चुपके से 

मेरे पास 

चली आना 

अपनी साँसों में 

भर लूँगा,

 

धुँआ धुँआ होते  

तुम्हारे एहसास को मैं !   


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