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Prahladbhai Prajapati

Abstract

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Prahladbhai Prajapati

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ऑर्गेनिक फसल

ऑर्गेनिक फसल

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सारे खेतकी फसल को खा रहे सब बाहरी कीटाणु

अपना आसियाना बना लिया देख किसानी सहिष्णु

दया धर्म ही ईश्वर माना किसान खेत मे डर के सहारे

ये भोरिंग मालिक होने लगे अनगिनत बस्ती बढ़ा के

किसान अपना खेत छोड़ भटकता नए खेत की तलाश मे

हल साथ खड्ग होता सहिष्णु छोड़ होता शुर लिबास में

भटकना न होता,न होते कीटाणु भक्षक न होते किडियारॉ

साफ़ सुथरा फलद्रुप खेत होते न होते उपद्रवी ये गलियारॉ

जिहादी नशाखोरी लूट डकैती माफियागिरी कारोबार हवाले

बढ़ गया बेशुमार नींद माण खेत में फसल को बचाना है चेलेंज

ज़हरीली कीटाणु नाशक युक्ति प्रयुक्ति बुद्धिका बल प्रयोग से

लानी होगी ऑर्गेनिक फसल किसानी मायावी निंदामण भगा के!


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