हुआ नीलाम साम्राज्य
हुआ नीलाम साम्राज्य
हुआ नीलाम साम्राज्य जूठकी निम्ब पर किया खड़ा
सगां दिठा में शाह आलमनां शेरिये भीख मागतां
गलत नेरेशन बढ़ाया गुलाम परिजनोंने निज स्वार्थमे
अंधोको आयना दिखाते फिरते पेट के लिए देश बेचते
जयचंदी जमावड़ा विदेशी मालकिन सहंशाह सत्तामें
लुटाए देश वंश परम्परागत अब फेर बदलमें आयना
छल्काई जुठकी गगरी मुगल वंशकी छेद हवाई किल्ले में
भंडा फूटा हुवा हलाल गुलामी नेरेशन भी परास्त सत्ता से
ये बहुरूप्ये मुगलवंशी वेटिकनि वामपंथी राइट लेफ्ट कबाड़ी
आतंकवादी सरगना क्रॉस कभी चाँदने मोड़ ली सूर्यसे दुश्मनी
अन्धेरा ही अन्धेरा छा गया है ढह गई जूठी शहंशाही सल्तनते
दोनों कभी एक दूसरे को तो कभी माँ को देखते हैं
और जिया आशी को गले लगा लेते हैं।