बुद्धिजीवी
बुद्धिजीवी
बदलाव जरुरी है प्रकृतिका एक अहम अंग है
स्वीकार करना होगा जो नेचरल प्रक्रिया है गई
सदियोसे सामाजिक व् मजहबी गंदगी इकठ्ठी हुई
साफ़ करके इंसानियतकी निब फिरसे हो पक्की
इंसान बुरा नहीं है सोच नीतिया ईगो बदला है
अहम् ईगोकी इस लडाईमें इंसानियत कुचला है
भीड़ तंत्र को हथियार बनाया स्वार्थने पैर पसारे
संपत्ति संस्कृति को निशान बनाया गैर जिम्मेदारियाँ
इंसान इंसान ही लड़ मरता है आपस की बुराई से
बुद्धिजीवी तमाशा व् तक देखता खुद भलाई की।