ओ प्रहरी-ए-हिंदुस्तान
ओ प्रहरी-ए-हिंदुस्तान
मेरे भाल का तेज़ है तू,
मेरे जिस्म का लहू है तू,
शूरवीर जाँबाज़ तू,
ओ प्रहरी-ए-हिंदुस्तान !
तुझसे है मेरा वतन,
तुझसे है चैनो-अमन,
तुझसे हिंदुस्तान।
वज्र तू, विक्रांत तू,
परवाज़ तू, शाहबाज़ तू,
तेरा करूँ मैं वंदन,
ओ प्रहरी-ए-हिंदुस्तान !
मुझ पर प्रहार जब भी हुआ,
तूने सहा उसे ढाल बन,
मैं सोया नींद सुकून की,
तूने काटी रात प्रहर गिन।
मुझे पुष्प दे खुद काँटे रखे
मेरा नीड़ बुन ख़ुद बीहड़ चला,
तू हिम शिखर पे बांधे कफ़न,
कर रहा हिफ़ाज़त-ए-वतन ।
क़र्ज़ तेरा कर ना सकूँ अदा,
तुझको शत शत नमन,
ओ प्रहरी-ए-हिंदुस्तान !
जल-थल-नभ है पहरा तेरा,
तू जीतेगा हर समर,
तेरे हुब्ब-ए-वतन पर,
मुझको है पूरा यकीं,
निश्चिन्त तेरे साये वतन,
महफ़ूज़ तेरी बाहों में है,
सरहद-ए-वतन ।
तुझसे है मेरा वतन,
तुझसे है चैनो-अमन,
तुझसे हिंदुस्तान ।
करु तेरा मैं अभिनंदन,
तेरी जय जय कार,
ओ प्रहरी-ए-हिंदुस्तान !