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सतीश शेखर श्रीवास्तव “परिमल”

Abstract

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सतीश शेखर श्रीवास्तव “परिमल”

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ओ माझी रेऽऽ

ओ माझी रेऽऽ

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हइया हो हइया हइया हो हइया

ओ हो हो…3 हइया हो हइया

चल रे माझी चलता चल

खेव रे नईया बढ़ते चल

घुमड़-घुमड़ आये रे बदरा

देर न कर तू चलता चल

हइया हो हइया हइया हो हइया

ओ हो हो…3 हइया हो हइया


उमड़े तो सागर सूरज ढलता जाये

सांझ की बेला दौड़ी – दौड़ी आये

चंदा भी जाल बिछाये 

अँधियारी की बदरी छाये

हइया हो हइया हइया हो हइया

ओ हो हो…3 हइया हो हइया


छोड़ न देनाऽऽ धीरज साथी

तोड़ न लेना मन की बाती

ये तो बात है पल दो पल की

आस का दामन

चहुँ ओर निराशा

घुमड़-घुमड़ आये बदरा

हइया हो हइया हइया हो हइया

ओ हो हो…3 हइया हो हइया


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