नज़्म
नज़्म
मंज़िलें होंगी हासिल,
नज़र तू बस पैनी रख।
अपना शिल्पी बन तू,
हाथ हथोड़ी छैनी रख।।
तूफानों की क्या बिसात,
क़दमो मे होगी क़ायनात ।
खुद को तू संभाले चल,
दिल मे बस तू बेचैनी रख।।
मंज़िलें होंगी हासिल,
नज़र तू बस पैनी रख।
अपना शिल्पी बन तू,
हाथ हथोड़ी छैनी रख।।
तूफानों की क्या बिसात,
क़दमो मे होगी क़ायनात ।
खुद को तू संभाले चल,
दिल मे बस तू बेचैनी रख।।