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Ajay Prasad

Tragedy

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Ajay Prasad

Tragedy

नयी पीढ़ी से

नयी पीढ़ी से

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नई पीढ़ी से उम्मीदें तो है पर खास नहीं

जेहन से जो गाँधी,नेहरु या सुभाष नहीं ।


खुदगर्ज़ ख्याल,बेतरतीब बिखरे हुए बाल

तन पे तहजीब को सँवारते लिबास नहीं ।


बे लगाम तक़नीक़, और बदहबास तरक्की

बेशुमार ख्वहिशों कि है बूझती प्यास नहीं ।


न बुजुर्गो की इज्जत है ,न रिश्तों हिफाजत

पुरानी चीजें अब आती इनको रास नहीं।


क्या कहें अजय अब इस दौरे बदनसीब को

अपनी तबाही का जिसे ज़रा एहसास नहीं ।



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