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नयी पारी

नयी पारी

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आज मैं साठ की हो गयी

हाँ ! आज मैं साठ की हो गयी

कल से नहीं करनी होगी भागदौड़

जल्दी जल्दी काम समेट कर

ऑफिस पहुंचने की आपाधापी


कभी पूजा न कर पाने का अफसोस तो

कभी बनायी हुई चाय छोड़कर

ब्रेकफास्ट भी टिफिन में पैक कर

ऑफिस पहुंचने की चिंता

कभी बेटी तो कभी पति पर चिड़चिड़ाना

कभी खुद पर ही झुंझलाना

हाँ, आज मैं साठ की हो गयी


कल से घड़ी की सुइयाँ भी तेज नहीं भागेंगी

सुस्ताएँगी वो भी मेरे साथ

दीवार से पीठ टिकाकर

अब कल से सुबह की चाय के साथ

अपने आँगन में लगे चन्दन के पेड़ पर

रहने वाली चिड़ियों को निहारूँगी देर तक

उनसे बातें करूँगी


जो आज भी समय पर दाना न डालने पर

मेरी किचन की खिड़की पर आकर

शोर मचाया करती हैं

उन फाख्ता के जोड़े को देखूंगी

जो किसी को भी दानों के पास

फटकने नहीं देती हैं


उन बुलबुल के जोड़े को देखूंगी

जो पानी में नहाती हैं देर तक

और उन गौरैया उन लालमुनिया और

उन काली चोंच वाली

चिड़ियों को निहारूँगी देर तक

हाँ, आज मैं साठ की हो गयी।


थोड़ी देर में आ जायेगा वो काला कुत्ता

जो बिस्कुट खाने के बाद भी

पसरा रहता है मेरे गेट पर और

मेरी बातें सुनता है ध्यान से

जो ऑफिस से आते ही

मेरी स्कूटर के साथ साथ दौड़ लगाता है

मेरे घर की ओर

जो सुबह शाम टहलते हुए

चलता है मेरे साथ साथ

हाँ, आज मैं साठ की हो गयी।


कल से छूट जाएंगे वो साथी

जिनके साथ छोटी छोटी बातों

पर होता था हंसना हँसाना

एक दूसरे की टांग खींचना

साथ में चाय पीने जाना

और अपने सुख दुःख कहना


अब याद आएंगे वो मेज वो कुर्सी

जिनसे तीस साल से ज्यादा का साथ था

और याद आयेगा वो कमरा

जहाँ सर्दी में बहुत सर्दी

और गर्मी में बहुत गर्मी होती है

और बारिश का जलभराव

और वो सर्दी का अलाव

बहुत याद आयेगा

हाँ, आज मैं साठ की हो गयी।


धीरे धीरे रिटायर होते गये साथी

धीरे धीरे कम होने लगा उनका आना

जब भी कोई मिलता तो एक दिखावा सा होता है

उन्हें अपनी कुर्सी पर बैठते हुए भी झिझकते देखा है

एक औपचारिक अभिवादन के साथ सबका

अपने काम में मशगूल हो जाना देखा हैI


हाँ कैसे छूट जाता है ये बंधन जो तीस वर्षों से था

हम सबका अपने स्थान से

वो जगह जहाँ जीवन के तीस अनमोल वर्ष बीते हैं

क्या हुआ। जो मैं साठ की हो गयी।


साठ का होना कोई जीवन का अंत तो नहीं

कल से शुरू होगी जीवन की नयी पारी

कल से करनी होगी एक नयी तैयारी

स्वयं को नये सिरे से ढालने की।


स्वयं को प्यार करने की

मेरा स्वयं जो आज तक था उपेक्षित

कल से उससे करूँगी दोस्ती

कल से उसे दूँगी ज्यादा समय

क्या हुआ जो मैं साठ की हूँ।


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