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Manisha Manjari

Tragedy Inspirational

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Manisha Manjari

Tragedy Inspirational

नये अनुभवों को अब साथ करें

नये अनुभवों को अब साथ करें

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रास्तों की सुने या मंजिलों की फरियाद करें, 

बीते कल में जीयें या नये कल का आगाज करें। 

जाती रात में अमावस की घनी परछाई है, 

क्या आने वाली रातों में पूनम की छटा छाई है? 

इस किनारे पे पहुँच सुकून की सांस हम लें, 

या नये किनारों की तरफ कूच का प्रयास करें? 

उस बाग में पतझड़ जाने कब से ठहर छाया है, 

क्या कभी सावन वहाँ भी रूक कर बरस पाया है? 

उन दर्द भरी नज्मों को ही तनहाई की ढाल करें, 

या नये शब्दों और गीतों से तरकश को भरें। 

आंसुओं ने भी तो बारिश की बूंदों में ही जगह पायी है, 

क्या बाद इसके इंद्रधनुषी रंगों में लिपट शाम मुस्कुरायी है? 

रक्तरंजित भूमि में ही रुक कर विलाप करें या 

नई कोपलों से उस धरती को भरें, 

एक ही पन्ने को क्यों बार बार पढ़ें, 

क्यों ना नये अनुभवों को अब साथ करें?  



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