STORYMIRROR

Manisha Manjari

Others

4  

Manisha Manjari

Others

सवाल

सवाल

1 min
301

खाट पर पड़े दो नैनों में, सवाल बस यही एक आया है,

इस इंतज़ार के लम्हों में, कौन अपना कौन पराया है।

जिन अबोधों को शब्द दिया, वाण शब्दों के उन्होंने हीं चलाया है,

जिन पगों को चलना सिखाया, उन्होंने घर के पथ को भुलाया है।

शैय्या पर मृत्यु की आ पड़ा, “तुझे देखे कौन” ये सवाल उठ आया है,

जिसे कंधे पर उठाते ना थका, उसने हीं बोझ बताया है।

विडंबना है काल की ऐसी, कभी शक्तिशाली थी, रुग्ण वो काया है,

काँपते इन हाथों में, क्यों हाथ किसी का ना आया है।

बोझिल हृदय, मौन हैं शब्द, धड़कनों ने पीड़ा को दर्शाया है,

कैसे फूल हैं इस बगिया के, जिन्होंने माली को ठुकराया है।

जीवन के इस विस्मृत क्षण में, स्मृति ने भी झुठलाया है,

लहू जो एक रंग होता था कभी, उसे रंगहीन आज पाया है।


Rate this content
Log in