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Manisha Manjari

Abstract Inspirational

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Manisha Manjari

Abstract Inspirational

शब्दों की दुआ

शब्दों की दुआ

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वो लहरें जो किनारों से मिल, खुद को मौत की सज़ा देती हैं,

कभी-कभी सागर का साथ पा, साहिलों को डूबा देती हैं। 

नींद की आगोश, जो हर दर्द को मिटा देती है,

वही सपनों के जरिये, सौ दर्दों को जगा देती है। 

ज़िन्दगी कच्चे धागों से, रिश्तों को जोड़ देती है,

उन्हीं बिखरे रिश्तों की कसक, ज़िन्दगी को तोड़ देती है। 

बंजर धरती, जिस बारिश की दुआ देती है,

वो भी तो बादलों का साथ पा, सैलाब की सदा देती है। 

फूलों की खुशबू, बागों की सुबह सजा देती है,

बढ़ते वक़्त की बेला, उन्हीं फूलों को दरख़्तों से गिरा देती है। 

ये हवाएं जिन शब्दों को, ख़ामोशियों में दबा देती हैं,

वादियों में फ़ैली खामोशियाँ, उन्हीं बातों को ज़हन में जगा देती हैं। 

यादों की कतार पलों में ही, कितने किस्से सुना देती हैं,

फिर होंठों पर फ़ैली मुस्कराहट को आंसुओं में बहा देती है। 

मुसाफिर को मंज़िलों से, जो सफ़र मिला देती है,

खुद की नाकामियों से, ऊँचा उठना सीखा देती है। 

जज़्बातों की धुंध, जब दिलों को देगा देती है,

मेरे कलम की क़िस्मत को, शब्दों की दुआ देती है।


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