नया साथी
नया साथी
एक विवाह गर टूट जाए किसी कारण
जीवन को बोझ न बनाया जाए अकारण
अपनी बौद्धिक क्षमता व रुचि के अनुसार
साथी चुने न हो अति विशिष्ट न साधारण।
जीवन रूक नहीं जाती एक के चले जाने से
खत्म होती नहीं जिंदगी,साथी के छूट जाने से।
एकाकी जीवन कभी ताउम्र साकार नहीं होगा,
संवरेगी जिंदगी पुनर्विवाह कर कदम बढ़ाने से।
मुश्किल है जिंदगी इस मशीनी युग में तन्हा जीना,
माना कुदरत ने ज़वानी में ही जीवनसाथी छीना।
अपने बच्चे की अच्छी व सही परवरिश की खातिर,
लाएँ विवाह कर घर नया साथी जो हो नगीना।