नवगीत
नवगीत
आओ हम विश्वास जगाएं
नारी का सम्मान बढ़ाएं
नारी गुण की खान बनी है
नारी जग की शान बनी है
सीमा पर प्रहरी बन उसने
दुश्मन का संहार किया है
आओ उसके मन आँगन में
खुशियों का विस्तार कराएं
नारी का सम्मान बढ़ाएं।
गुड़ियों की शादी से लेकर
सखियों के संग शाला जाकर
मात पिता के साए में ही
बिटिया का बचपन बीता है
अल्हड़ वय में उड़नपरी ने
अपने सपनो को सींचा है
खेल खिलोने घर मे रखकर
मुश्किल को आसान किया है
कोमल मन की उस देवी में
साहस का नव भाव जगाएं
नारी का सम्मान बढ़ाएं।
हिम चोटी पर वह पहुंची है
अंतरिक्ष में जा लोटी है
इंदिरा बनकर बंग्लादेश का
उसने नव निर्माण किया है
कान्हा भजन सुना मीरा ने
जन जन का उद्धार किया है
उस दुर्गा और सावित्री में
साहस का उन्वान जगाएं
नारी का सम्मान बढ़ाएं।
घर की चौखट से जब निकली
जीवन भर संग्राम किया है
खड़ग उठाकर उस देवी ने
मातृभूमि संग न्याय किया है
पूर्वाचल से अस्ताचल तक
शोषित को अधिकार दिलाएं
महिला दिवस पर उसके शौर्य की
रक्तिम श्वेत ध्वजा लहराएं
नारी का सम्मान बढ़ाएं।