नशे की लत
नशे की लत
गिर चुका है जमीर नशे के कारण
आजकल लेकिन शान
दर्शाते अपनी उंची है,
कल क्या होगा कभी नहीं सोचा
लेकन बात अभी भी अनुठी है।
आज का मानव गांजा,
भांग, शैराब आदि से धुत हो रहा है
कभी सोचा ये सब क्या हो रहा है।
उजड़ रहा है सिंदूर सुहागिनों का,
बहनों की राखी खो रही, है,
घर घर में छाया है मातम
बेटे की मां रो रही है,
मां बाप का सहारा उनको बोझ समझ
कर छोड़ रहा है कभी सोचा
नशे से क्या क्या हो रहा है।
सरेआम लूट रहे हैं इज्जत व आबरू राहगिरों की,
दीन, धर्म, इमान सब खो रहा है
कभी सोचा नशे से क्या क्या हो रहा है।
न रही सेहत किसी की न
खाने की होड़ काम युवां भी
नहीं कर पा रहा कर दिया नशे ने कमजोर,
इस नशे खोरी से देश भी कमजोर
हो रहा है कभी सोचा नशे
से क्या क्या हो रहा है।
हमें हर हालत में इस से हर
किसी को निपटाना होगा
हर किसी को एक कदम बढ़ाना होगा, अपने देश को
नशा मुक्त कराना होगा
रोते चेहरों को फिर से हंसाना
होगा, कभी न देख सके सुदर्शन हंसता चेहरा फिर से
रो रहा है, कभी सोचा नशे से
क्या क्या हो रहा है।
आओ सभी मिल कर एक मुहीम बनायें,
हरेक को नशे के
अब गुण बतायें, गली मुहल्ले
में महफिल बनायें हरेक को
नशे से मुक्त करायें, घर
घर नशे मुक्ति का दीप जलायें
जाग उठे गा देश ये सुदर्शन
नशे की लत से जो सो रहा है
कभी सोचा हमने नशे से क्या
क्या हो रहा है।