नशा पाप का मूल है
नशा पाप का मूल है
नशा पाप का मूल है, करता पाप विनाश।
शून्य जीवन जी रहे, खेलें दिन-भर ताश
गुटका, बीड़ी, पान से, लगता कैंसर रोग।
सूखी टहनी तन दिखे, दर-दर भटके लोग।।
सेवन तंबाकू बुरा, मन में लगती आग।
बिगड़ी हालत देख के, साथी जाते भाग।
तन भीतर से खोखले, ऊँची भरे उड़ान।
खाली बातों से कहाँ, जीवन बने महान।।
नशे के फँदे से बचें, स्वस्थ बने दिन-रैन।।
कलह-क्लेश सब हैं मिटे, घर में हो सुख-चैन।
"पूर्णिमा' करे कामना, नशा मुक्त संसार।
पढ़े-लिखें बच्चे सभी, दूर करें व्यभिचार।।