नर नारी
नर नारी
खुदा की हमेशा नर पर इतनी ज़्यादा रही इनायत।
तुझसे न रहा कभी कोई शिकवा, न रही शिकायत।
तूने हर बात को नर की, ऐसे माना जैसे वह रहा हो,
तेरे लिए कोई हुक्म या जैसे कोई रही हो हिदायत।
तूने हमेशा बहुत की मोहब्बत और बहुत की परवाह।
कभी बिना कुछ बोले उससे प्रेम करती रही तू अथाह।
तू भी कभी शिकायत कर नर से, है तुझे भी इजाज़त,
ज़ुल्म सहती है तू नारी, क्यूं न निकलती मुंह से आह।