नमन
नमन
एक पल रुको जरा,
जरा कुर्बानी याद करो,
वतन के वीरो के,
जरा बलिदान याद करो।
आज ही का वो दिन था,
वीरता से बढ़ता दल था,
कुछ कायरों की कायरता ने,
मिटाया वो दल बल था,
नैनो में तब भी नीर था,
आज भी अश्रुपूरित नयन हैं,
पल वो अन्तःकरण की पीर था,
गमनीन तब भी मन था,
गमनीन आज भी मन है,
क्यो आज वो दुःख नही,
क्यो वो जागती पीर नही,
कुछ तो आज जरा रुके,
सलाम जरा वीरो को दे,
जला कर मन के दिये,
देशभक्ति की राह चले,
ले संकल्प कुछ यूं हम आज,
कि उठने न देंगें एक शत्रु भी,
मिटा कर हर शत्रुता का भाव,
जला कर कुछ प्रेम ज्योति हम,
कुछ श्रद्धासुमन अर्पित करे,
वह जो रक्षक सरहद के तो,
हम सब भी वसुधा के रक्षक है,
कर्तव्य हम सब के भी यह,
जरा बलिदान याद करे,
और देशप्रेम की राह चले,
कुछ जला अब पथ पर दिए,
प्रज्वलित अमर बलिदान करे।।
